बेचारा किसान
भारत कृषि प्रधान देश है.....
तमाम जनता कृषि पर निर्भर करती है.....
देश का बजट भी
किसानो के लिए ही बनता है.....
चुनाव के समय भी किसानो की ही बात होती है....
नेतागण खुद को
किसानो का मसीहा कहते हैं....
कहते हैं..... किसानो की स्थिति सुधरी है...
क्या सुधरी है?
पहले किसान
बादलों को देख कर जीता था,
आज बिजली के तारों को देख कर जीता है...
फसल सूख जाती है...
जीवन भर यही आस लिए
कि
अच्छी फसल होगी तो
क़र्ज़ चुकेगा.....
क़र्ज़ में जन्मा.... क़र्ज़ में बढा....
और
क़र्ज़ में ही मर जाता है......
" बेचारा किसान"
वल्लभ... मई, सन् 1990
2 टिप्पणियां:
haan..aise hee ek kisaan pariwarse mai khud hun..!
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आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
लिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी
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