''तीज का उपवास ''
रात के ८ बजे...
आज फिर आ रही थी...
चीखने- चिल्लाने की आवाज....
हमारे होस्टल के पीछे वाली बस्ती से...
वही रोज की कहानी...
पति का दारू पीकर आना...
और पत्नी की हिंसक पिटाई...
गाली गलौज...
भाग - दौड़...
बच्चों की चीख पुकार...
सिसकियाँ..
और फिर...
डरावनी खामोशी...
कुछ नया नहीं था...
बस.....आज उस पत्नी ने...
पति की खुशहाली के लिए...
रखा था....
" तीज का उपवास " ..............वल्लभ ( सितम्बर १९८९)